स्टारडस्ट 1.0: जैव ईंधन पर चलने वाला पहला राकेट: डेली करेंट अफेयर्स
- बीती 31 जनवरी को अमेरिका के लोरिंग कॉमर्स सेंटर से स्टारडस्ट 1 .0 को प्रक्षेपित किया गया।
- इस तरह से यह बायो फ्यूल से चलने वाला पहला वाणिज्यिक स्पेस लांच बन गया।
- बायो फ्यूल से चलने की वजह से इससे पर्यावरण को होने वाला ख़तरा काफी कम हो जायेगा क्यूंकि पूर्व में इस्तेमाल होने वाले राकेट ईंधनों से पर्यावरण को काफी नुक्सान हो रहा था।
- स्टारडस्ट 1 .0 एक प्रक्षेपण यान है जिसे इस लिहाज़ से बनाया गया है जिससे यह आर्थिक रूप से काफी फायदेमंद साबित होगा।
- राकेट की लम्बाई 20 फ़ीट है और इसका भार महज़ 250 किलो है। राकेट के ज़रिये ले जाये जाने वाले पेलोड का भार अधिकतम 8 किलो हो सकता है।
- अपने पहले प्रक्षेपण के दौरान यह राकेट अपने साथ 3 पेलोड को ले गया।
- पोलिटीको में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इन पेलोड में हाई स्कूल के छात्रों द्वारा बनाया गया एक क्यूब सैट प्रोटोटाइप ,राकेट के वाइब्रेशन को कम करने के लिए केल्लॉग रिसर्च लैब द्वारा बनाया गया मेटल अलॉय और राकेट इनसाइट्स नाम की सॉफ्टवेयर कंपनी द्वारा बनाया गया एक क्यूब सैट शामिल था।
- इस राकेट को मैन स्थित एक एयरोस्पेस कंपनी ब्लू शिफ्ट द्वारा बनाया गया है। इस कंपनी में आम तौर पर ऐसे राकेट बनाये जाते हैं जो जैव ईंधन या बायो फ्यूल से चलते हैं।
- स्टार डस्ट 1 .0 को साल 2014 से बनाया जा रहा है। गौर तलब है की ये कंपनी साल 2014 में ही इसके सी ई ओ द्वारा स्थापित की गयी थी।
- इन राकेट से छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में मदद हासिल होगी।
- इन उपग्रहों को क्यूब सैट के नाम से जाना जाता है और इन्हे पारम्परिक राकेट ईंधनों के इस्तेमाल से लांच करना मंहगा सौदा होता है।
- साथ ही पारम्परिक राकेट ईंधन पर्यावरण के लिहाज़ से भी खतरनाक होते हैं।
- इसी कंपनी द्वारा विक्सित किये जा रहे अन्य रॉकेटों में स्टारडस्ट जेन 2, स्टारलेस रोग और रेड ड्वार्फ शामिल हैं।
- ये सारे के सारे पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़े जाने वाले राकेट हैं और इनके ज़रिये अधिकतम 30 किलो का पेलोड ले जाया जा सकता है।
- कई और भी कंपनियां हैं जो अंतरिक्ष में पहुँच को आसान बनाने का काम कर रही हैं।
- इनमे सबसे पहली कंपनी है अमेज़न के संस्थापक जेफ्फ बिजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन।
- पिछले साल अक्टूबर महीने में इस कंपनी ने एक राकेट सिस्टम का परीक्षण किया जिसका नाम था न्यू शेपर्ड राकेट। इस राकेट का मकसद अंतरिक्ष में पर्यटन को बढ़ावा देना था।
- इसके अलावा ब्रिटिश उद्यमी रिचर्ड ब्रैंसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक ने नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के साथ साल 2020 में एक करार पर दस्तखत किये थे जिसका मकसद इंसानों की अंतरिक्ष में उड़ान के मद्देनज़र वाणिज्यिक प्रोत्साहन को बढ़ावा देना था।
- इसके अलावा इसका मकसद पृथ्वी की निचली कक्षा में अर्थव्यस्था को भी बढ़ावा देना था।
- स्टार डस्ट के प्रक्षेपण में जिस जैव ईंधन का इस्तेमाल हुआ था वह कैसे बना था इसके बारे में हालांकि कोई जानकारी नहीं मौजूद है लेकिन मीडिया रिपोर्ट की माने तो इसे बनाने में कृषि सम्बन्धी उत्पादों का इस्तेमाल हुआ है।
- इसके अलावा इसकी सबसे बड़ी खासियत है की इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
- लेकिन मोटे तौर पर देखा जाये तो जैव ईंधन आम तौर पर बायोमास से बनाये जाते हैं जिसे सीधे सीधे तरल ईंधनों में बदला जा सकता है और इन्हे यातायात में इस्तेमाल होने ईंधनों के तौर पर आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है।
- मौजूदा वक़्त में सबसे आम और ज़्यादा इस्तेमाल में आने वाले जैव ईंधनों में इथेनॉल और बायो डीजल सबसे अहम् हैं और ये दोनों ही जैव ईंधन तकनीकी की पहली पीढ़ी के ईंधन हैं।
- मिसाल के तौर पर इथेनॉल को नवीकृत किया जा सकता है और इसे अलग अलग तरह के पौधों से मिलने वाले पदार्थों से बनाया जाता है।
- इससे अलग बायो डीजल को अलकोहल और वनस्पति तेलों , एनिमल फैट इत्यादि को मिलकर बनाया जाता है।